मेरा तुझसे ही प्यार हो जाना ये कोई इत्तेफाक तो नही | हिंदी शायरी

"मेरा तुझसे ही प्यार हो जाना ये कोई इत्तेफाक तो नहीं था तूने झूठ बोला था न!मैं कैसे कह दूँ कि मुझे प्यार नहीं था। बदला वक़्त बदल गया तू,क्या तू इसका जिम्मेदार नहीं था हैं तो तू ही मेरे दिल,में भले तू जिंदगी का किरदार नहीं था। ©Himanshu Kumar Sanatani"

 मेरा तुझसे ही प्यार हो जाना ये कोई इत्तेफाक तो नहीं था
तूने झूठ बोला था न!मैं कैसे कह दूँ कि मुझे प्यार नहीं था।
बदला वक़्त बदल गया तू,क्या तू इसका जिम्मेदार नहीं था
हैं तो तू ही मेरे दिल,में भले तू जिंदगी का किरदार नहीं था।

©Himanshu Kumar Sanatani

मेरा तुझसे ही प्यार हो जाना ये कोई इत्तेफाक तो नहीं था तूने झूठ बोला था न!मैं कैसे कह दूँ कि मुझे प्यार नहीं था। बदला वक़्त बदल गया तू,क्या तू इसका जिम्मेदार नहीं था हैं तो तू ही मेरे दिल,में भले तू जिंदगी का किरदार नहीं था। ©Himanshu Kumar Sanatani

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