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मुझपे रहम खाइये कुछ पता कीजिये
मुझको मेरे ख्याल से जुदा कीजिये
इतनी गर्म हवा का माहौल में होना
बचाइये खुद को घर में रहा कीजिये
साँसो की डोर शायद टूट जायेगी
दवा बहोत हुई अब दुआँ कीजिये
तन्हा हो गए तो इतना उदास क्यों
मिलेगा सुकूँ समंदर से मिला कीजिये
आँखे बोलती थी पढ़ते थे लोग भी
वो दौर गुजर गया बात कहाँ कीजिये
©प्रशान्त पाण्डेय
#sad_shayari