हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई और मैं फिर खुद | English Poetr

"हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई और मैं फिर खुद के भीतर अंधकार भरे बाहर कि जगमगाती दुनिया बस निहारती रह गई ज़िंदगी के बेरंग उदासीन पन्नों को बिखरा छोड़ मैं इस साल भी ख़ुद कि टूटी हिम्मत संवारती रह गई टूटे सपनों कि झंकार को अंदर दफ़ना कर मैं इस वर्ष भी पटाखों कि शोर में कहीं छुपी रही जहां पुरी दुनिया उमँग में शराबोर थी मैं ख़ुद के अंदर सिमटे हुए बस चुप ही रही सालों कि मेहनत का जब हिसाब लगाया तो लगा फ़रियादों कि चिट्ठियों का जवाब इस बार भी न आया और निराश होकर मैंने फिर इस दिवाली एक दिया उम्मीदों के नाम जलाया! ©Naina"

 हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई
और मैं फिर खुद के भीतर अंधकार भरे
 बाहर कि जगमगाती दुनिया बस निहारती रह गई
ज़िंदगी के बेरंग उदासीन पन्नों को बिखरा छोड़
मैं इस साल भी ख़ुद कि टूटी हिम्मत संवारती रह गई
टूटे सपनों कि झंकार को अंदर दफ़ना कर
मैं इस वर्ष भी पटाखों कि शोर में कहीं छुपी रही
जहां पुरी दुनिया उमँग में शराबोर थी
मैं ख़ुद के अंदर सिमटे हुए बस चुप ही रही
सालों कि मेहनत का जब हिसाब लगाया
तो लगा फ़रियादों कि चिट्ठियों 
का जवाब इस बार भी न आया
और निराश होकर मैंने फिर इस दिवाली
एक दिया उम्मीदों के नाम जलाया!

©Naina

हर साल कि भाती इस साल भी दिवाली आई और मैं फिर खुद के भीतर अंधकार भरे बाहर कि जगमगाती दुनिया बस निहारती रह गई ज़िंदगी के बेरंग उदासीन पन्नों को बिखरा छोड़ मैं इस साल भी ख़ुद कि टूटी हिम्मत संवारती रह गई टूटे सपनों कि झंकार को अंदर दफ़ना कर मैं इस वर्ष भी पटाखों कि शोर में कहीं छुपी रही जहां पुरी दुनिया उमँग में शराबोर थी मैं ख़ुद के अंदर सिमटे हुए बस चुप ही रही सालों कि मेहनत का जब हिसाब लगाया तो लगा फ़रियादों कि चिट्ठियों का जवाब इस बार भी न आया और निराश होकर मैंने फिर इस दिवाली एक दिया उम्मीदों के नाम जलाया! ©Naina

एक दिवाली ऐसी भी
#sad_shayari

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