White ले जाऊ छत पर मैं तुम्हे,उस चांद को चांद दिखाऊं।
इतराती उस चांदनी को, शीतलता मैं मैं दे जाऊ।
नाच रहे इन बादलों से, प्रेम बरसात कराउ।
ले जाऊ छत पर मैं तुम्हे....
मुरझाए इस उपवन में,माली मैं बन जाऊ।
बात करे जो फूलों की,तस्वीर तुम्हारी दिखाऊं।
की हरे भरे सूखे वन में,मैं प्रेम धरा बहाऊ।
ले जाऊ छत पर मैं तुम्हे....
शायरों की महफिलों में,सूरत तेरी पढ़ जाऊ।
अंधियारे गलियारों में,मैं छोटा जुगनू बन जाऊ।
की उलझ रहे पग राहगीरों के,मैं प्रेम राह दिखाऊं।
ले जाऊ छत पर मैं तुम्हे....
प्रेम राह के अंभिज्ञो की,नियमावली बनाऊं।
एक एक प्रत्येक एक को, प्रेम प्रयास सिखाऊं।
की ईर्ष्या द्वेष धारण भाव की, जड़ों को आग लगाऊं।
ले जाऊ छत पर मैं तुम्हे.....
©RUPESH KUMAR SAHU
ik Teri yaad ❤️🩹🤗😔