दोस्तों
मैने इस शहर में जीना सीख लिया
यह चमचमाती रोशनी से क्या कहूं
मैने एक आशियाना डूढ लिया
देने को है मेरे पास कुछ नही मैने एक मंजिल
पा लिया
लाया था अपने गांव परिवार से कुछ उम्मीदों को लेकर हम अपनी ईमानदारी सारे जहां को जीत
लिया
है हर्ष मुझको यह प्रवीण मैने औरों के दामन के गमों पीकर मैने उनके हिस्से मे खुशियां बाट दिया
©L.P Praveen
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