#मौहब्बतें..... हेल्लो" "हाँ, क्या हुआ, फोन क्यों

"#मौहब्बतें..... हेल्लो" "हाँ, क्या हुआ, फोन क्यों नहीं उठा रही थी" "यार लगता नहीं घर वाले मानेंगें" "तुमने बात की?" "हाँ, लेकिन कोई भी राज़ी नहीं है, बस वही पुरानी बात, लड़का ठाकुर होता तो उन्हें एक पैसे की दिक्कत न होती" "फिर तुमने क्या कहा" "क्या कहती..हर बार की तरह हार मान कर फोन कर रही हूँ तुम्हें" "अरे परेशान मत हो, सब ठीक हो जायेगा" "यार तुम मेरी बात मान क्यूँ नहीं लेते, चलो भाग जाते हैं न, मैं तुम्हारे साथ खुश रह लूँगी" "फिर वही बात, भागना ही होता तो अब तक रुकता क्या" "यार तुमने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया, मुझे पाने के लिए तुमने सबसे बैर कर लिया और फिर भी ये हाल है। मैं सब देख सकती हूँ लेकिन तुम्हे हारा हुआ नहीं देख सकती।" "अगर ऐसा है तो सुनो, तुम्हें तुम्हारे घर से भगाकर ले गया, तो वो मेरी हार है। जीत मैं तभी गया था जब तुमने मेरा हाथ थामा था ये कहकर कि ये साथ अब आखिरी साँसों के साथ ही छूटेगा। ये परेशानियां, दुविधाएँ, बाधाएं ये सब तो महज़ एक घटनाक्रम है, जो हमारे बंधन को और मज़बूत कर रहा है।" "लेकिन..." "नहीं पहले बात पूरी करने दो। ये बात सही है कि मैं ब्रह्मण हूँ और तुम ठाकुर , लेकिन अगर मैं ब्रह्मणभी होता तब भी तो गोत्र का नाटक आड़े आ जाता, है कि नहीं? इसलिए बात को समझने की कोशिश करो बात यहाँ हिन्दू या ब्राह्मण या एक गोत्र का होने की नहीं है, बात यहाँ दिमाग जड़ी उस फांस का है जो हमेशा कमज़ोर लोगों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती है। लेकिन मैं और तुम कमज़ोर नहीं हैं। हम दोनों मिलकर इसका सामना करेंगे उस दिन तक जब तक साथ न रहने लगें। जब तक सुबह एक दूसरे के चेहरा देखे बगैर न हो, जब तक मुझे बिना बोले चाय और तुम्हे बिना कहे साड़ियां न मिलने लगे, तब तक!" "भक पागल" " हाँ सच बोल रहा मैं..और यार अभी हम दोनों की उम्र ही कितनी हुई है, अभी तो बहुत टाइम है। हाँ तुम ज़रा बूढ़ी लगने लगी हो, पर मैं काम चला लूँगा 😂 " "अच्छा ऐसा!! अब फोन करना " "अच्छा सॉरी, मोमोज़ खाओगी? " "मक्खन न मारो काम है मुझे, रात में फोन करती हूँ" "अच्छा ठीक है बाय" "बाय, टेक केयर" #विवेक_गंगवार_युवराज ©Thakur Vivek Gangwar"

 #मौहब्बतें.....
हेल्लो"
"हाँ, क्या हुआ, फोन क्यों नहीं उठा रही थी"
"यार लगता नहीं घर वाले मानेंगें"
"तुमने बात की?"
"हाँ, लेकिन कोई भी राज़ी नहीं है, बस वही पुरानी बात, लड़का ठाकुर होता तो उन्हें एक पैसे की दिक्कत न होती"
"फिर तुमने क्या कहा"
"क्या कहती..हर बार की तरह हार मान कर फोन कर रही हूँ तुम्हें"
"अरे परेशान मत हो, सब ठीक हो जायेगा"
"यार तुम मेरी बात मान क्यूँ नहीं लेते, चलो भाग जाते हैं न, मैं तुम्हारे साथ खुश रह लूँगी"
"फिर वही बात, भागना ही होता तो अब तक रुकता क्या"
"यार तुमने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया, मुझे पाने के लिए तुमने सबसे बैर कर लिया और फिर भी ये हाल है। मैं सब देख सकती हूँ लेकिन तुम्हे हारा हुआ नहीं देख सकती।"
"अगर ऐसा है तो सुनो, तुम्हें तुम्हारे घर से भगाकर ले गया, तो वो मेरी हार है। जीत मैं तभी गया था जब तुमने मेरा हाथ थामा था ये कहकर कि ये साथ अब आखिरी साँसों के साथ ही छूटेगा। ये परेशानियां, दुविधाएँ, बाधाएं ये सब तो महज़ एक घटनाक्रम है, जो हमारे बंधन को और मज़बूत कर रहा है।"
"लेकिन..."
"नहीं पहले बात पूरी करने दो। ये बात सही है कि मैं ब्रह्मण हूँ और तुम ठाकुर , लेकिन अगर मैं ब्रह्मणभी होता तब भी तो गोत्र का नाटक आड़े आ जाता, है कि नहीं? इसलिए बात को समझने की कोशिश करो बात यहाँ हिन्दू या ब्राह्मण या एक गोत्र का होने की नहीं है, बात यहाँ दिमाग जड़ी उस फांस का है जो हमेशा कमज़ोर लोगों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती है। लेकिन मैं और तुम कमज़ोर नहीं हैं। हम दोनों मिलकर इसका सामना करेंगे उस दिन तक जब तक साथ न रहने लगें। जब तक सुबह एक दूसरे के चेहरा देखे बगैर न हो, जब तक मुझे बिना बोले चाय और तुम्हे बिना कहे साड़ियां न मिलने लगे, तब तक!"
"भक पागल"
" हाँ सच बोल रहा मैं..और यार अभी हम दोनों की उम्र ही कितनी हुई है, अभी तो बहुत टाइम है। हाँ तुम ज़रा बूढ़ी लगने लगी हो, पर मैं काम चला लूँगा 😂 "
"अच्छा ऐसा!! अब फोन करना "
"अच्छा सॉरी, मोमोज़ खाओगी? "
"मक्खन न मारो काम है मुझे, रात में फोन करती हूँ"
"अच्छा ठीक है बाय"
"बाय, टेक केयर"

#विवेक_गंगवार_युवराज

©Thakur Vivek Gangwar

#मौहब्बतें..... हेल्लो" "हाँ, क्या हुआ, फोन क्यों नहीं उठा रही थी" "यार लगता नहीं घर वाले मानेंगें" "तुमने बात की?" "हाँ, लेकिन कोई भी राज़ी नहीं है, बस वही पुरानी बात, लड़का ठाकुर होता तो उन्हें एक पैसे की दिक्कत न होती" "फिर तुमने क्या कहा" "क्या कहती..हर बार की तरह हार मान कर फोन कर रही हूँ तुम्हें" "अरे परेशान मत हो, सब ठीक हो जायेगा" "यार तुम मेरी बात मान क्यूँ नहीं लेते, चलो भाग जाते हैं न, मैं तुम्हारे साथ खुश रह लूँगी" "फिर वही बात, भागना ही होता तो अब तक रुकता क्या" "यार तुमने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया, मुझे पाने के लिए तुमने सबसे बैर कर लिया और फिर भी ये हाल है। मैं सब देख सकती हूँ लेकिन तुम्हे हारा हुआ नहीं देख सकती।" "अगर ऐसा है तो सुनो, तुम्हें तुम्हारे घर से भगाकर ले गया, तो वो मेरी हार है। जीत मैं तभी गया था जब तुमने मेरा हाथ थामा था ये कहकर कि ये साथ अब आखिरी साँसों के साथ ही छूटेगा। ये परेशानियां, दुविधाएँ, बाधाएं ये सब तो महज़ एक घटनाक्रम है, जो हमारे बंधन को और मज़बूत कर रहा है।" "लेकिन..." "नहीं पहले बात पूरी करने दो। ये बात सही है कि मैं ब्रह्मण हूँ और तुम ठाकुर , लेकिन अगर मैं ब्रह्मणभी होता तब भी तो गोत्र का नाटक आड़े आ जाता, है कि नहीं? इसलिए बात को समझने की कोशिश करो बात यहाँ हिन्दू या ब्राह्मण या एक गोत्र का होने की नहीं है, बात यहाँ दिमाग जड़ी उस फांस का है जो हमेशा कमज़ोर लोगों को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती है। लेकिन मैं और तुम कमज़ोर नहीं हैं। हम दोनों मिलकर इसका सामना करेंगे उस दिन तक जब तक साथ न रहने लगें। जब तक सुबह एक दूसरे के चेहरा देखे बगैर न हो, जब तक मुझे बिना बोले चाय और तुम्हे बिना कहे साड़ियां न मिलने लगे, तब तक!" "भक पागल" " हाँ सच बोल रहा मैं..और यार अभी हम दोनों की उम्र ही कितनी हुई है, अभी तो बहुत टाइम है। हाँ तुम ज़रा बूढ़ी लगने लगी हो, पर मैं काम चला लूँगा 😂 " "अच्छा ऐसा!! अब फोन करना " "अच्छा सॉरी, मोमोज़ खाओगी? " "मक्खन न मारो काम है मुझे, रात में फोन करती हूँ" "अच्छा ठीक है बाय" "बाय, टेक केयर" #विवेक_गंगवार_युवराज ©Thakur Vivek Gangwar

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