हाथों में न जाने कौन सी लकीरें है ये तो रब ही जा | हिंदी Love

"हाथों में न जाने कौन सी लकीरें है ये तो रब ही जाने । पर ना मोहब्बत मिली,ना ख्यावों की जिंदगानी ।। हर राह हर कदम सिर्फ सिक्स्थ ही मिली, वो चाल चलता रहा और मेरी मात होती रही। Ŕkpoetry"

 हाथों  में न जाने कौन सी लकीरें है 
ये तो रब ही जाने ।
पर ना मोहब्बत मिली,ना ख्यावों की जिंदगानी ।।
हर राह हर कदम सिर्फ सिक्स्थ ही मिली,
वो चाल चलता रहा और मेरी मात होती रही।


                                       Ŕkpoetry

हाथों में न जाने कौन सी लकीरें है ये तो रब ही जाने । पर ना मोहब्बत मिली,ना ख्यावों की जिंदगानी ।। हर राह हर कदम सिर्फ सिक्स्थ ही मिली, वो चाल चलता रहा और मेरी मात होती रही। Ŕkpoetry

#emptiness#lifeexperiance

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