Guru Purnima गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ क

"Guru Purnima गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ काढ़ै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।"

 Guru Purnima गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।

Guru Purnima गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ काढ़ै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।

#Gurupurnima
 गुरू कुम्हार है शिष्य मिट्टी के कच्चे घड़े के समान है। जिस तरह घड़े को सुन्दर बनाने के लिए अन्दर हाथ डालकर बाहर से थाप मारते हैं ठीक उसी प्रकार शिष्य को कठोर अनुशासन में रखकर अन्तर से प्रेम भावना रखते हुए शिष्य की बुराइयों को दूर करके संसार में सम्माननीय बनाता है।

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