कुचल के फेंक दो आँखों में ख़्वाब जितने हैं इसी सब | हिंदी Shayari

"कुचल के फेंक दो आँखों में ख़्वाब जितने हैं इसी सबब से हैं हम पर अज़ाब जितने हैं - जां निसार अख़्तर #NojotoQuote"

 कुचल के फेंक दो आँखों में ख़्वाब जितने हैं 
इसी सबब से हैं हम पर अज़ाब जितने हैं 
- जां निसार अख़्तर #NojotoQuote

कुचल के फेंक दो आँखों में ख़्वाब जितने हैं इसी सबब से हैं हम पर अज़ाब जितने हैं - जां निसार अख़्तर

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