काश ऐसा होता मेरी रूह निकाल कर मेरी बिछड़ी मोहब्ब | हिंदी कविता

"काश ऐसा होता मेरी रूह निकाल कर मेरी बिछड़ी मोहब्बत से मिल आती कब तक मेरी नींद तकिये से लिपट अस्क बहाती रहेगी। ©Omkar Sharma"

 काश ऐसा होता मेरी रूह निकाल कर 
मेरी बिछड़ी मोहब्बत से मिल आती
कब तक मेरी नींद
 तकिये से लिपट अस्क बहाती रहेगी।

©Omkar Sharma

काश ऐसा होता मेरी रूह निकाल कर मेरी बिछड़ी मोहब्बत से मिल आती कब तक मेरी नींद तकिये से लिपट अस्क बहाती रहेगी। ©Omkar Sharma

#Omkarsharma

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