हाथ अगर जो साथ रहे, और दूर कहीं हो फिर भी मन
बात अगर जो करते हो ,और दूर कहीं हो फिर भी मन
झूठी आशायें झूठे एहसास क्यों देते हो
क्यों डरते हो तुम झूठ से अपने
क्यों छूते हो तुम मेरा मन
क्या मिलता है
क्यों करते हो
कहते तो हो की समझ गए
पर ना समझे तुम मेरा मन।
©Shubham joshi
#Soul