सायद तुम जानती हो तुम्हारी खामोसी की वजह.... क्यों | हिंदी Shayari Vid

"सायद तुम जानती हो तुम्हारी खामोसी की वजह.... क्योंकी नाकामी तो हु ही में, फिर कमी है हर जगह.... कमी होते हुए भी शाहजहान ने बनादी ताज की मुकाम.... कुछ खोए थे, कुछ बोए थे जो दिल्ली की दिल बने बेगम.... लेकीन अपनी कमी को कीमत समझ बैठे खो चला हूं में... कुछ बनाने का जजबा नहीं , दो टके की pen चलाता हूं में. अब तुम्हारी यादें ,खिंच लेगी वो इरादे जखम में मलम जैसा.. मेरे कमियां, तुम्हारी होठों की नमिआ बताती ये खामोशी कैसा..... ©Prashant@016 "

सायद तुम जानती हो तुम्हारी खामोसी की वजह.... क्योंकी नाकामी तो हु ही में, फिर कमी है हर जगह.... कमी होते हुए भी शाहजहान ने बनादी ताज की मुकाम.... कुछ खोए थे, कुछ बोए थे जो दिल्ली की दिल बने बेगम.... लेकीन अपनी कमी को कीमत समझ बैठे खो चला हूं में... कुछ बनाने का जजबा नहीं , दो टके की pen चलाता हूं में. अब तुम्हारी यादें ,खिंच लेगी वो इरादे जखम में मलम जैसा.. मेरे कमियां, तुम्हारी होठों की नमिआ बताती ये खामोशी कैसा..... ©Prashant@016

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