गुस्सा, एक अजीब खेल है, कभी तूफ़ान, कभी बेहोशी की | हिंदी कविता Video

"गुस्सा, एक अजीब खेल है, कभी तूफ़ान, कभी बेहोशी की रातें। जिंदगी के रंगीन पलों में, उसकी छाया बिखर जाती है। गुस्सा, एक आग है जो जलती है, दिलों को जलाकर राख कर जाती है। पर जब वो बुझ जाती है, फिर नयी उम्मीदों की आस जाती है। गुस्सा, एक खुदा की तरह है, जो अक्सर अच्छाई की राहों में आता है। जिंदगी के सफर में जब हाथ थामता है, वो अच्छाई की ओर ले जाता है। गुस्सा, एक नयी कविता की तरह है, जिसमें रंग और रूप बदलते रहते हैं। जिंदगी के पन्नों पर जब वो लिखता है, वो नयी कहानियों की शुरुआत करता है। ©Rounak kumar "

गुस्सा, एक अजीब खेल है, कभी तूफ़ान, कभी बेहोशी की रातें। जिंदगी के रंगीन पलों में, उसकी छाया बिखर जाती है। गुस्सा, एक आग है जो जलती है, दिलों को जलाकर राख कर जाती है। पर जब वो बुझ जाती है, फिर नयी उम्मीदों की आस जाती है। गुस्सा, एक खुदा की तरह है, जो अक्सर अच्छाई की राहों में आता है। जिंदगी के सफर में जब हाथ थामता है, वो अच्छाई की ओर ले जाता है। गुस्सा, एक नयी कविता की तरह है, जिसमें रंग और रूप बदलते रहते हैं। जिंदगी के पन्नों पर जब वो लिखता है, वो नयी कहानियों की शुरुआत करता है। ©Rounak kumar

#Sukha

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