White बड़े जहरीले उतार चढ़ाव हैं जीवन में
मरहमों से ज्यादा तो घाव हैं जीवन में
औरों से जूझा तो कभी बाद में जायेगा
पहले तो ख़ुद से ही टकराव हैं जीवन में
सुगंध सत्य की जमाने भर में न मिली
मृग तृष्णा सरीखे भटकाव हैं जीवन में
कोल्हू के बैल सी खप गई ज़िंदगी यारों
न चैन न आराम न ठहराव हैं जीवन में
रोटी कपड़ा और मकाँ ही तो जरूरी थे
मगर जहाँ देखो वहीं अभाव हैं जीवन में
रंग ढंग आचार विचार सब बदल गये
केवल मन के ही सदा बहाव हैं जीवन में
©अज्ञात
#जीवन