हर शख्स को देखा है लड़ते हुए कोरोना के इंतकाम में
बच्चों को आंसू दिखा नहीं सकता अपनी नंगी आंख में
सच को सच लिखना पाप है तो लो मैं झूठ लिखता हूं
एक नई दुनिया का आरंभ है इस ताला बंदी के बाद में
" रामपाल उदयपुर "
हर शख्स को देखा है लड़ते हुए कोरोना के इंतकाम में
बच्चों को आंसू दिखा नहीं सकता अपनी नंगी आंख में
सच को सच लिखना पाप है तो लो मैं झूठ लिखता हूं
एक नई दुनिया का आरंभ है इस ताला बंदी के बाद में
" रामपाल उदयपुर "