मेरे शब्द मुझसे लड़ रहे
क्यों मौन साधे बैठा हूं !
हार कर यूं अपनो से ही
तकदीर पर क्यों ऐंठा हूं !
मैं हूं अकेला सोच कर ये
वक्त से था लड़ पडा !
आज तेरा वक्त है
यूं इस तरह तू हंस रहा !
अपनों से ही हार कर
मौत से जो बच गया !
तकदीर उसका क्या करे
जो वक्त से भी लड़ गया ।।
एक वक्त मेरा भी होगा
उसी कर्म पथ पर डूबा हूं
मेरे शब्द मुझसे लड़ रहे
क्यों मौन साधे बैठा हूं।
©shriya mishra