केह दो उनको जो प्यार को नाज़ायज मानते है , हम तो उन | हिंदी शायरी

"केह दो उनको जो प्यार को नाज़ायज मानते है , हम तो उनमे से है ग़ालिब जो प्यार को खुदा मानते है। ©Vishal kumar"

 केह दो उनको जो प्यार को नाज़ायज मानते है ,
हम तो उनमे से है ग़ालिब जो प्यार को खुदा मानते है।

©Vishal kumar

केह दो उनको जो प्यार को नाज़ायज मानते है , हम तो उनमे से है ग़ालिब जो प्यार को खुदा मानते है। ©Vishal kumar

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