"तुफानी लहरें हो या
फिर अंबर के पहरें हो!
पुरवा के दामन पर चाहे
दाग भले बहुत गहरें हो!
सागर के मांझी, मन से
कदाचित मत हारना तुम!
जीवन के इस क्रम में जो
कुछ भी हमनें खोया है,
हर हाल में सब पाना है!
पतझड़ का मतलब है की
फिर से बसंत को आना है!"
©Pvतुम बिन अधूरें से हम
#Chess