मिरे जाने का ग़म न मनाना मिरी कब्र पर आ | हिंदी Poetry

"मिरे जाने का ग़म न मनाना मिरी कब्र पर आ जाना कभी यूँ तो दस्तक देते हैं जनाजे तुम कान लगा जाना कभी मुआमला इतना भी संगीन नही जिसकी नुमाइश करते हो यारो मिरे कुछ तारे ही तो टूटे हैं तुम खाक़ उड़ा जाना कभी दहलीज़े वीरान हो गई हैं मिरी सरहदें जमीन की कुछ दिये ही तो बुझे हैं तुम आग लगा जाना कभी"

 मिरे  जाने  का  ग़म  न  मनाना 
मिरी  कब्र  पर  आ  जाना  कभी 

यूँ  तो  दस्तक  देते  हैं  जनाजे 
तुम  कान  लगा  जाना  कभी 

मुआमला  इतना  भी  संगीन  नही 
जिसकी  नुमाइश  करते  हो  यारो 
मिरे  कुछ  तारे  ही  तो  टूटे  हैं 
तुम  खाक़  उड़ा  जाना  कभी 

दहलीज़े  वीरान  हो  गई  हैं 
मिरी  सरहदें  जमीन  की 
कुछ  दिये  ही  तो  बुझे  हैं 
तुम  आग  लगा  जाना  कभी

मिरे जाने का ग़म न मनाना मिरी कब्र पर आ जाना कभी यूँ तो दस्तक देते हैं जनाजे तुम कान लगा जाना कभी मुआमला इतना भी संगीन नही जिसकी नुमाइश करते हो यारो मिरे कुछ तारे ही तो टूटे हैं तुम खाक़ उड़ा जाना कभी दहलीज़े वीरान हो गई हैं मिरी सरहदें जमीन की कुछ दिये ही तो बुझे हैं तुम आग लगा जाना कभी

#martyrs #raah #gazal
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ये उन सभी शहीदो के लिए जिन्होंने महामारी,देशभक्ति,अंतिम सफर या
किसी भी जंग मे शहीद हुए हो

मरने वाला किसी भी समुदाय धर्म या स्थान का नही होता,,

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