कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार, कितना बाकी है अ | हिंदी विचार

"कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार, कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार। क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक, और साथ बिताये वो दिन और रात। कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना, क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात। अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी, मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी। आखिर बड़े होने का सपना जो था, बचपन मे तो हर कोई अपना था। अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है, सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है। मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है, सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है। बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से, मतलब के लिये की गई यारी से। आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है, क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है। मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो, कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो। (चाहत) ©Chahat Kushwah"

 कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार,
कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार।
क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक,
और साथ बिताये वो दिन और रात।
कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना,
क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात।
अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी,
मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी।
आखिर बड़े होने का सपना जो था,
बचपन मे तो हर कोई अपना था।
अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है,
सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है।
मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है,
सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है।
बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से,
मतलब के लिये की गई यारी से।
आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है,
क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है।
मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो,
कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो।
(चाहत)

©Chahat Kushwah

कुछ आसान सवालों के जवाब दो ना यार, कितना बाकी है अब हमारी दोस्ती में प्यार। क्या याद है आज भी तुमको वो नोकझोक, और साथ बिताये वो दिन और रात। कभी मुस्कुराना कभी रुठ जाना कभी एक दूसरे को चिढाना, क्या भूल गए तुम बचपन में स्कूल में की गई सारी बात। अच्छा है जिंदगी सायेद बचपन से बेहतर होगी, मसरूफियत भी बहुत ज्यादा होगी। आखिर बड़े होने का सपना जो था, बचपन मे तो हर कोई अपना था। अब तो वो बाते बेबकूफी लगती है, सच बताओ क्या तुम्हें दोस्ती बेफिजुली लगती है। मुझे तो आज भी ये सब सपना लगता है, सच बताऊ तो मुझे बेगाना भी अपना लगता है। बाकिफ नही हूं आज भी दुनियादारी से, मतलब के लिये की गई यारी से। आज भी मै मूर्ख हूं मुझे कोई समझाता नही है, क्या सच है क्या झूठ है कोई मुझे बताता नही है। मुझे भूलना था तो कुछ होशियार सिखा देते यारो, कैसे फरेब पहचानू कुछ पहचान बता देते यारो। (चाहत) ©Chahat Kushwah

People who shared love close

More like this

Trending Topic