"White वो शाम शाम तक साईकिल से सड़क किनारे चक्कर लगाना
वो सुबह होते ही झूला झूलने के बहाने घर से दूर भाग जाना
वो सुखी टहनियों और काटों के बीच खिले फूलों को इकठ्ठा करना
वो छत पे से सुनहरे किले के पर्यटकों को देखना
उन भीड़ भाड़ वाली गालियों में पर्यटकों को
मेमनों साथ तस्वीरें खिंचवाते देखना
वो परदेशियों को राजस्थानी लिबाज़ में बैठ कर
पारंपरिक विधि से खाना खाते देखना
कभी इठलाते इतराते हँसी ठिठोली करते देखना
कितना सुकून देता था
मानों बचपन में ही नया रूप नया जुन्नुन था
©Pooja Priya
"