आज फिर काफी महीनों बाद हिचकियों ने मेरा गला बैठा द | हिंदी Shayari

"आज फिर काफी महीनों बाद हिचकियों ने मेरा गला बैठा दिया, कोन कम्बक्त इतना याद कर रहा है तुम्हारे शायर को, जो इतिहास के कुछ चेहरों को याद करने पर मजबूर कर दिया, शक थोड़ा उसपर भी है, की शक थोड़ा उस पर भी है, जो तुम्हारे यार को तन्हा कर गई थी, शायद आज फिर उसे मेरी याद आयी है, खबरें उड़ती उड़ती मेरे पास भी आयी है कि आज फिर बहुत समय बाद what's App पर Miss You की DP लगाई है।। - Befikar Parindey"

 आज फिर काफी महीनों बाद हिचकियों ने मेरा गला बैठा दिया,
कोन कम्बक्त इतना याद कर रहा है तुम्हारे शायर को,
जो इतिहास के कुछ चेहरों को याद करने पर मजबूर कर दिया,
शक थोड़ा उसपर भी है,
की शक थोड़ा उस पर भी है,
जो तुम्हारे यार को तन्हा कर गई थी,
शायद आज फिर उसे मेरी याद आयी है,
खबरें उड़ती उड़ती मेरे पास भी आयी है कि
आज फिर बहुत समय बाद what's App पर Miss You की DP लगाई है।।

- Befikar Parindey

आज फिर काफी महीनों बाद हिचकियों ने मेरा गला बैठा दिया, कोन कम्बक्त इतना याद कर रहा है तुम्हारे शायर को, जो इतिहास के कुछ चेहरों को याद करने पर मजबूर कर दिया, शक थोड़ा उसपर भी है, की शक थोड़ा उस पर भी है, जो तुम्हारे यार को तन्हा कर गई थी, शायद आज फिर उसे मेरी याद आयी है, खबरें उड़ती उड़ती मेरे पास भी आयी है कि आज फिर बहुत समय बाद what's App पर Miss You की DP लगाई है।। - Befikar Parindey

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