*माँ*
पूरे जीवन का सार यही है
अपना तो संसार यही है
हर मौसम का रूप यही है
छाव यही है धूप यही है
सबके अपने ईश्वर हैं लेकिन
प्रभु का तो रूप यही है
हार निश्चित हो तो क्या
जीत का विश्वास यही है
सुख में तो है सब अपने
दुख में केवल साथ यही है
अ से ज्ञ तक ज्ञान यही है
शब्दों की पहचान यही है
हर परीक्षा में पास यही है
दही की देखो मिठास यही है
मां यही है पिता यही है
हर रिश्ते को जीता यही है
डांट यही है प्यार यही है
निस्वार्थ किरदार यही है
भूख यही है प्यास यही है
तन का देखो लिबास यही है
सुबह यही है शाम यही है
अपने चारों धाम यही है
पूरे जीवन का सार यही है
अपना तो संसार यही है
दीपक नीमा✍️
❤️
©DeepakNeema
#MothersDay