सत्ता के मदहोशी में जब कुर्सी कलंकी हो जाती है चौ | हिंदी विचार

"सत्ता के मदहोशी में जब कुर्सी कलंकी हो जाती है चौथा स्तंभ जमीर बेच धृतराष्ट्र सी अंधी हो जाती है कौरवों के कुर्सी से पगड़ी जनता ने जब है बांध लिया फिर क्यों रोते हैं चौराहों पर जब द्रौपदी नंगी हो जाती है साथ पाकर दुर्योधन का प्रबल दुःशासन हो जाना भीष्म विदुर सा न्यायतंत्र का निर्बल मौन हो जाना है बतलाता कृष्ण कोई अब कलियुग में न आयेगा भ्रूण में ही मर जाना "नारी" कली काल में मत आना _आnand . ©Anand"

 सत्ता के मदहोशी में जब कुर्सी कलंकी हो जाती है 
चौथा स्तंभ जमीर बेच धृतराष्ट्र सी अंधी हो जाती है 
कौरवों के कुर्सी से पगड़ी जनता ने जब है बांध लिया 
फिर क्यों रोते हैं चौराहों पर जब द्रौपदी नंगी हो जाती है
साथ पाकर दुर्योधन का प्रबल दुःशासन हो जाना 
भीष्म विदुर सा न्यायतंत्र का निर्बल मौन हो जाना 
है बतलाता कृष्ण कोई अब कलियुग में न आयेगा 
भ्रूण में ही मर जाना "नारी" कली काल में मत आना

_आnand






.

©Anand

सत्ता के मदहोशी में जब कुर्सी कलंकी हो जाती है चौथा स्तंभ जमीर बेच धृतराष्ट्र सी अंधी हो जाती है कौरवों के कुर्सी से पगड़ी जनता ने जब है बांध लिया फिर क्यों रोते हैं चौराहों पर जब द्रौपदी नंगी हो जाती है साथ पाकर दुर्योधन का प्रबल दुःशासन हो जाना भीष्म विदुर सा न्यायतंत्र का निर्बल मौन हो जाना है बतलाता कृष्ण कोई अब कलियुग में न आयेगा भ्रूण में ही मर जाना "नारी" कली काल में मत आना _आnand . ©Anand

#Dream #Love #poem #Motivational #Shayar

People who shared love close

More like this

Trending Topic