कुछ रातें मेरी तन्हाई की
तेरी यादों की बलि सी चढ़ती है
न जल्द सवेरा होता है
न नींद की दस्तक होती है
एक अरसा बिता दूर हुए
तेरी धुंधली सी तस्वीर है बस
बिस्तर की करवट न जाने
तेरी यादों की आहट भर्ती है
कैसे में, कैसा मेरा हाल हुआ
तकिया-ए-हरम ही समझती है।
©Avinash Kr. Jha (अवि)
#sleeplessnight