कुछ रातें मेरी तन्हाई की तेरी यादों की बलि सी चढ़त | हिंदी शायरी

"कुछ रातें मेरी तन्हाई की तेरी यादों की बलि सी चढ़ती है न जल्द सवेरा होता है न नींद की दस्तक होती है एक अरसा बिता दूर हुए तेरी धुंधली सी तस्वीर है बस बिस्तर की करवट न जाने तेरी यादों की आहट भर्ती है कैसे में, कैसा मेरा हाल हुआ तकिया-ए-हरम ही समझती है। ©Avinash Kr. Jha (अवि)"

 कुछ रातें मेरी तन्हाई की
तेरी यादों की बलि सी चढ़ती है
न जल्द सवेरा होता है
न नींद की दस्तक होती है
एक अरसा बिता दूर हुए
तेरी धुंधली सी तस्वीर है बस
बिस्तर की करवट न जाने
तेरी यादों की आहट भर्ती है
कैसे में, कैसा मेरा हाल हुआ
तकिया-ए-हरम ही समझती है।

©Avinash Kr. Jha (अवि)

कुछ रातें मेरी तन्हाई की तेरी यादों की बलि सी चढ़ती है न जल्द सवेरा होता है न नींद की दस्तक होती है एक अरसा बिता दूर हुए तेरी धुंधली सी तस्वीर है बस बिस्तर की करवट न जाने तेरी यादों की आहट भर्ती है कैसे में, कैसा मेरा हाल हुआ तकिया-ए-हरम ही समझती है। ©Avinash Kr. Jha (अवि)

#sleeplessnight

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