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"सुबह से इंतजार मे बैठे है ग़ालिब कि कब रात होगी,
यही सोचता रहता है दिल कि तुमसे कब बात होगी"
"मिलने की आरज़ू है बहुत जाने कब मुलाकात होगी,
ये दूरियां कब होगी खत्म जाने तुम कब साथ होगी"
"हम तो करते हैं बातेँ पर हमारे घर मे कब बात होगी,
तुम्हारे मेरे हसीं सपनों की जाने कब शुरुआत होगी "