आगर मैं इंसान हू तो मेरी आंखो से आंसू ज़रूर निकलेंगे,
ज़रूरी नहीं हर वक्त मैं चट्टान बनकर खड़ी रहु,
अगर इन आंसुओ को आप पोछ नहीं सकते,
तो कम्सेकाम मेरे आंसुओ पे सवाल मत उठाना।
मन जब कोशिशों से थक जाता है,
वो थकान आंसू बनकर निकल आता है,
अगर आप मेरी वो थकान मिटा नहीं सकते,
तो कमसेकम् मेरी कोशिशों पे सवाल मत उठाना।
जब मेरी तकलीफ कोई समझ नहीं पाता,
तब वो दर्द आंसू बनकर निकल आता है,
अगर आप मेरी उस तकलीफ को समझ नहीं सकते,
तो कम्सेकम् मेरी समझ पे सवाल मत उठाना।
ज़िन्दगी की राह चलते चलते जब रास्ते का छोर धुधला सा लगता है,
वो धुंधलेपन की सफाई आंसुओ के बहाव में ही होपती है,
अगर आप उस धुंधलेपन को साफ करने में मेरी मदद नहींकर सकते,
तो कम्सेक्म मेरी ज़िन्दगी के इस सफर पे सवाल मत उठाना।
अगर उसे हिमात ना दे सको आप तो विनती है आपसे उसकी हिम्मत पे सवाल मत उठाना।
_Suhani Girish Parekh
सवाल मत उठाना।✋