मैं रात का चमकता चांद हूं,
तुम सुबह की सुनहरी किरण।
न जाने कब और कैसे हुआ,
हमारा यह अनोखा मिलन ।
मैं आसमान में बादल का गर्जन,
तुम धरती पर पड़ती बारिश की बूंद।
मैं तेज़ आग की ज्वाला हूं,
तुम ठंडे पानी का शीतल कण।
मैं रात का चमकता चांद हूं,
तुम सुबह की सुनहरी किरण।
न जाने कब और कैसे हुआ,
हमारा यह अनोखा मिलन।
©shinning shristi
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