श्वास के फूल मुर्झा जायेंगे, जब प्रकृति से पेड़ मि | हिंदी कविता

"श्वास के फूल मुर्झा जायेंगे, जब प्रकृति से पेड़ मिट जायेंगे! पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से, क्यों काट रहे हो क्या तुमने मुझ को पाला है, मुझे मिटा कर बच जाओगे, ये वहम तुमने पाला है मैंने तुमको श्वास दिये, दिये तख्तों ताज तुम्हे, उस युग से इस युग तक, दिये खाद्य पदार्थ तुम्हे, क्यों छीन रहे हो श्वास मेरी जब मैने तुमको पाला है पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से ©गुमनाम शायर"

 श्वास के फूल मुर्झा जायेंगे, जब प्रकृति से पेड़ मिट जायेंगे! 
पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से, क्यों काट रहे हो
क्या तुमने मुझ को पाला है, 
मुझे मिटा कर बच जाओगे, 
ये वहम तुमने पाला है
मैंने तुमको श्वास दिये, 
दिये तख्तों ताज तुम्हे, उस युग से इस युग तक, 
दिये खाद्य पदार्थ तुम्हे, 
क्यों छीन रहे हो श्वास मेरी जब मैने तुमको पाला है
पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से

©गुमनाम शायर

श्वास के फूल मुर्झा जायेंगे, जब प्रकृति से पेड़ मिट जायेंगे! पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से, क्यों काट रहे हो क्या तुमने मुझ को पाला है, मुझे मिटा कर बच जाओगे, ये वहम तुमने पाला है मैंने तुमको श्वास दिये, दिये तख्तों ताज तुम्हे, उस युग से इस युग तक, दिये खाद्य पदार्थ तुम्हे, क्यों छीन रहे हो श्वास मेरी जब मैने तुमको पाला है पूछ रहा है पेड़ तुम्ही से ©गुमनाम शायर

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