माझी ,,
वक्त का जनाजा चल रहा मुसाफिर ।।
तू शोक में डूबा क्यूं ताक़ रहा रास्ता।।
नहीं आएगा कोई मदद को तेरी
यहां सब मतलबी इंसान है न कोई फ़ रिश्ता।।
ओर धोड़ी देर रुकता हूं तेरे लिए
शायद कोई आए ।
तुझे बेसहारों की जरूरत है माझी ,
(सहम कर )
अरे ।।
थोड़ी दूर पे देख रहा हूं चंद लोगो को
आरहे लाशें कफ़न ओढ़ाए।।
रोते, बिलखते , गिड़गिड़ाते,, चिल्लाते ,
वो आ रहे है अपने बेटे को लेकर बदहवास धुन में।।
मंज़र में थोड़ी दहशत है ।।पर फर्क नहीं पड़ेगा माझी
तुझे कल फिर आना होगा किसी ओर के लिए ।।
रुद्र भिलाला
©Lokesh Bhilala
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