अपनें अरमानों को लिए
जिंदगी के कारवां के साथ चल दिए ,
नई उम्र, खुद पर यकीन और, इक नई दास्ता लिखने चल दिए l
कितना कुछ नया जानते हैं, ये दुनिया को अभी जानना बाकी था,
ये सांसारिक व्यवहार और इस व्यवहारिक संसार को जानना अभी बाकी था l
हर लम्हे को जिया क्योंकि हर बीती शाम वापस नहीं आती ,
मोहब्बत और पढ़ने से दूर रहा क्योंकि कहीं सुन रखा था कि -
दसवीं के अंक और कक्षा ग्यारहवीं की मोहब्बत कहीं काम नहीं आती l
दसवीं तक जिंदगी को इतना समझ चुके थे ,
कि जिनसे दोस्ती करनी चाहिए उनसे दोस्ती कर चुके थे l
सोचा दसवीं बोर्ड दे दिया तो अब स्कूली जिंदगी में नया कुछ बचा ही नहीं ,
अब जिंदगी में पढ़ने में कोई नया मज़ा ही नहीं l
दसवीं तक चला दोस्ती और मस्ती का पाठ, आगे ग्यारहवीं से मोहब्बत और जिदंगी का नया विषय शुरू हुआ
अगली बार कलम उठाने पर लिखेंगे की इस नए विषय को पढ़के जिंदगी में बदलाव क्या - क्या हुआ l
©N.T. Novels
#just classbackbencher story