मुझे ये नहीं पता कि मेरा संदेश को कितने लोग समझेंगे या ये कितने लोगों तक पहुंचेगा या कितने लोग इसपे अम्ल करेंगें। लेकिन आज से 40,50 साल बाद जब कोई आज के हालात पर किताब लिखेगा या चर्चा करेगा तो मेरा नाम समाज में फैली इस मज़हबी आग को बुझाने वाले लोगों में होगा न कि आग लगाने वालों में। आप विचार कर लें कि आप किन लोगों में अपना नाम चाहते हैं। जय हिंद जय भारत
-अमूल्य मिश्रा