जब कुछ गलत किया ही नहीं तूने तो फिर तेरे अंदर ये द | हिंदी शायरी

"जब कुछ गलत किया ही नहीं तूने तो फिर तेरे अंदर ये दहशत क्या है? अगर कद्र करना हर मुसीबत मे साथ देना वहसत है तो फिर मोह्हबत क्या है? तू जैसा जैसा चाहे मै वैसा वैसा ही करूँ यार मेरे ऊपर तेरी ये मिल्कियत क्या है? स्वाभिमान सबसे ऊपर था है और रहेगा इसके आगे तू तेरा प्यार तेरी चाहत क्या है? तू ना कहेगी मुझको बिना मेरे पूछे अबे चल जा तू कौन है तेरी हैसियत क्या है? ©Arpit shukla ❣️"

 जब कुछ गलत किया ही नहीं तूने
तो फिर तेरे अंदर ये दहशत क्या है? 

अगर कद्र करना हर मुसीबत मे साथ देना
वहसत है तो फिर मोह्हबत क्या है?

तू जैसा जैसा चाहे मै वैसा वैसा ही करूँ
यार मेरे ऊपर तेरी ये मिल्कियत क्या है?

स्वाभिमान सबसे ऊपर था है और रहेगा
इसके आगे तू तेरा प्यार तेरी चाहत क्या है?

तू ना कहेगी मुझको बिना मेरे पूछे अबे 
चल जा तू कौन है तेरी हैसियत क्या है?

©Arpit shukla ❣️

जब कुछ गलत किया ही नहीं तूने तो फिर तेरे अंदर ये दहशत क्या है? अगर कद्र करना हर मुसीबत मे साथ देना वहसत है तो फिर मोह्हबत क्या है? तू जैसा जैसा चाहे मै वैसा वैसा ही करूँ यार मेरे ऊपर तेरी ये मिल्कियत क्या है? स्वाभिमान सबसे ऊपर था है और रहेगा इसके आगे तू तेरा प्यार तेरी चाहत क्या है? तू ना कहेगी मुझको बिना मेरे पूछे अबे चल जा तू कौन है तेरी हैसियत क्या है? ©Arpit shukla ❣️

#darkness

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