चलो कर लें..
ख़ुद से ख़ुद की बातें,
एक अरसा हुआ,
मिले हुए
दूर कर दें
सब शिकवे
अरसा हुआ
मिले हुए।
शाम ढल जाए
कब ज़िंदगी की
कौन जाने..
मलाल कर लें
सब दूर,
पास आ जाएं
ख़ुद से ख़ुद के
हां
ख़ुद से ख़ुद के
अब तो लगता नहीं
ख़ुदा भी दूर
अरसा गुजरा
मिले हुए
दूर कर दें
सब शिकवे..
सिमरजीत कौर 'ख़ाक'
©Simarjeet Kaur
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