उजाले की क्या कहे
अंधेरे से प्यार हो गया है
औरों की क्या कहे
खुद से दूर हो गए हैं हम,
सपनों की खातिर
नींद से दूर हुए हैं हम
लोगों को कुछ और लगता है
पर किसी को समझाना नहीं अब,
अपनें पे बेहतर हैं हम
जानते हैं हम
नहीं कोई किसी का सगा
सबको पहले अपना दिखता है
चाहे कोई कितना भी प्यारा क्यों ना हो फिर।
(Rk.P)✍️
©Pragati Rk Rawat
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