मेरा अच्छा सोचती है वो।
ना जाने क्या-क्या सोचती है वो ?
मोहब्बत है, उसे भी।
लेकिन इजहार से डरती है।
हमें भी कोई शिकायत नहीं उनसे।
वो मोहब्बत को जमाने से छुपा कर रखती है ।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज लिखे हैं मेरे लिए।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज़ लिखे हैं मेरे लिए।
लेकिन कहती है कि, ये अल्फ़ाज़ उसकी सहेली के लिए है।
मैंने लिखा था कभी की तुम्हारी आंखों में सुरमा कमाल लगता है।
मैंने लिखा था कभी की तुम्हारी आंखों में सुरमा कमाल लगता है।
और आज देख रहा हूं कि वो, काजल को त्याग सूरमा खरीद रही है।
हमें भी कोई शिकायत नहीं उनसे कि वो, मोहब्बत को जमाने से छुपा रही है।
©Niaz (Harf)
मेरा अच्छा सोचती है वो।
ना जाने क्या-क्या सोचती है वो ?
मोहब्बत है, उसे भी।
लेकिन इजहार से डरती है।
हमें भी कोई शिकायत नहीं उनसे।
वो मोहब्बत को जमाने से छुपा कर रखती है ।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज लिखे हैं मेरे लिए।
हां, जरूर उसने कुछ अल्फाज़ लिखे हैं मेरे लिए।