खुचड़ की खोपड़ी में निंदा होने के सिवा और क्या है।

"खुचड़ की खोपड़ी में निंदा होने के सिवा और क्या है। घुट घुट कर जीने में जिंदा होने के सिवा और क्या है। हैवानियत इंसानियत की उतार रही सरेआम आबरू, अपने हैसियत में शर्मिंदा होने के सिवा और क्या है।। ••••• नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' (स्नातक,बीएड) यमुनापार,करछना,प्रयागराज 🙏 ©Narendra Sonkar"

 खुचड़ की खोपड़ी में निंदा होने के सिवा और क्या है।
घुट घुट कर जीने में जिंदा होने के सिवा और क्या है।
हैवानियत इंसानियत की उतार रही सरेआम आबरू,
अपने हैसियत में शर्मिंदा होने के सिवा और क्या है।।
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नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' 
(स्नातक,बीएड)
यमुनापार,करछना,प्रयागराज 🙏

©Narendra Sonkar

खुचड़ की खोपड़ी में निंदा होने के सिवा और क्या है। घुट घुट कर जीने में जिंदा होने के सिवा और क्या है। हैवानियत इंसानियत की उतार रही सरेआम आबरू, अपने हैसियत में शर्मिंदा होने के सिवा और क्या है।। ••••• नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' (स्नातक,बीएड) यमुनापार,करछना,प्रयागराज 🙏 ©Narendra Sonkar

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