महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा वह आंखों के बीज वह | हिंदी Poetry Vide

"महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा वह आंखों के बीज वह क्यों नहीं रहा कभी ऐसा लगता है कि वह बेजान है वह अपने तन में सुई चुभा क्यों नहीं रहा जिंदगी की बाजी में हार हो या जीत यह नादान मन जुआरी हो क्यों नहीं रहा शमा शांत है हलचल नहीं रात में बताओ रात में उल्लू रो क्यों नहीं रहा ©ashish gupta "

महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा वह आंखों के बीज वह क्यों नहीं रहा कभी ऐसा लगता है कि वह बेजान है वह अपने तन में सुई चुभा क्यों नहीं रहा जिंदगी की बाजी में हार हो या जीत यह नादान मन जुआरी हो क्यों नहीं रहा शमा शांत है हलचल नहीं रात में बताओ रात में उल्लू रो क्यों नहीं रहा ©ashish gupta

महफिल में शोर हो क्यों नहीं रहा
वह आंखों के बीज वह क्यों नहीं रहा

कभी ऐसा लगता है कि वह बेजान है
वह अपने तन में सुई चुभा क्यों नहीं रहा

जिंदगी की बाजी में हार हो या जीत
यह नादान मन जुआरी हो क्यों नहीं रहा

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