दिल ने चाहा उसे इस तरह
जेठ की तपती दुपाहरि में
छांव की चाहत हो जिस तरह।
बारिश की उम्मीद में आसमान
को किसान तकता हो उस तरह।
दिल ने चाहा उसे इस तरह
पहाड़ों से उतरती नदी समन्दर में
उतर जाने को तड़पती हो जिस तरह
तपते जलते रेगिस्तान को
एक बरसात की चाह हो जिस तरह
दिल ने चाहा उसे इस तरह
मीरा के नैनन को साँवले के
दरस की चाह हो जिस तरह
कस्तूरी की खोज में वन वन
मृग फिरता हो जिस तरह
दिल ने चाहा उसे इस तरह
दिल ने चाहा उसे इस तरह
जेठ की तपती दुपाहरि में
छांव की चाहत हो जिस तरह।
बारिश की उम्मीद में आसमान
को किसान तकता हो उस तरह।
दिल ने चाहा उसे इस तरह
पहाड़ों से उतरती नदी समन्दर में
उतर जाने को तड़पती हो जिस तरह