जो दर्द और पीड़ा है, लोगों को लगता है। स्त्री धरती

"जो दर्द और पीड़ा है, लोगों को लगता है। स्त्री धरती का एक कीड़ा है, हर कोई करता उस पर राज है। नोकरों से भी कम उसकी लाज है। उसके अस्तित्व से किसे काज है, उसका जीवन तो काटों का ताज है। खुद को हिस्सों में बाटती है, जिंदगी किस्तों पर कटती है। गम लेकर खुशियां देती है, पूरी उम्र नदी की तरह बहती है। हर किसी के लिए जो कहती है, खुद की पूछने पर चुप ही रहती हैं। ©Singleboy9918"

 जो दर्द और पीड़ा है,
लोगों को लगता है।
स्त्री धरती का एक कीड़ा है,
हर कोई करता उस पर राज है।
नोकरों से भी कम उसकी लाज है।
उसके अस्तित्व से किसे काज है,
उसका जीवन तो काटों का ताज है।
खुद को हिस्सों में बाटती है,
जिंदगी किस्तों पर कटती है।
गम लेकर खुशियां देती है,
पूरी उम्र नदी की तरह बहती है।
हर किसी के लिए जो कहती है,
खुद की पूछने पर चुप ही रहती हैं।

©Singleboy9918

जो दर्द और पीड़ा है, लोगों को लगता है। स्त्री धरती का एक कीड़ा है, हर कोई करता उस पर राज है। नोकरों से भी कम उसकी लाज है। उसके अस्तित्व से किसे काज है, उसका जीवन तो काटों का ताज है। खुद को हिस्सों में बाटती है, जिंदगी किस्तों पर कटती है। गम लेकर खुशियां देती है, पूरी उम्र नदी की तरह बहती है। हर किसी के लिए जो कहती है, खुद की पूछने पर चुप ही रहती हैं। ©Singleboy9918

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