मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है अकेले मे | मराठी कविता

"मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है अकेले मे भी यू लगता है जैसे पूरी कायनात मेरे साथ होती है तेरी याद को अकसर सीने मे दबा देता हू तेरे अकस से हर लमहा मेरी बात होती है दिन के ऊजाले अभ मुझे रास नही आते है रात की गहराई मे तुमसे फुरसत मे दिल की बात होती है मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है तेरी जुदाई का गम अब दिल मे घर कर गया है तुझसे खवाब मे मिलता हू तो खुश रहता हू नीनद से जागर मेरी फिर पलके रोती है मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है ©deepak raina"

 मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है
अकेले मे भी यू लगता है जैसे पूरी कायनात मेरे साथ होती है
तेरी याद को अकसर सीने मे दबा देता हू
तेरे अकस से हर लमहा मेरी बात होती है
दिन के ऊजाले अभ मुझे रास नही आते है
रात की गहराई मे तुमसे फुरसत मे दिल की बात होती है
मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है
तेरी जुदाई का गम अब दिल मे घर कर गया है
तुझसे खवाब मे मिलता हू तो खुश रहता हू
नीनद से जागर मेरी फिर पलके रोती है
मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है

©deepak raina

मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है अकेले मे भी यू लगता है जैसे पूरी कायनात मेरे साथ होती है तेरी याद को अकसर सीने मे दबा देता हू तेरे अकस से हर लमहा मेरी बात होती है दिन के ऊजाले अभ मुझे रास नही आते है रात की गहराई मे तुमसे फुरसत मे दिल की बात होती है मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है तेरी जुदाई का गम अब दिल मे घर कर गया है तुझसे खवाब मे मिलता हू तो खुश रहता हू नीनद से जागर मेरी फिर पलके रोती है मेरी तनहाई मे अकसर तुझसे मुलाकात होती है ©deepak raina

#RIPSidhuMoosewala

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