उस फतह का तो तुम अंदाज़ा भी नही लगा सकते
जो खुद ही मैंने खुद पर की है
वो आवाज़ों से लेकर सन्नाटे का सफ़र
वो अल्फाजों से लेकर ख़ामोशी तक का सफ़र
वो अपना मानने से लेकर बेगाना होने तक का सफ़र
वो किसी के दिल में है हम ये सुनने से उनकी ज़िंदगी से रूकसद होने तक का सफ़र
वो ऊंचाई से गहराई में जाने का सफ़र
मन की आवाज़ दबाने से उसे मुक्कमल होते देखने का सफ़र
उफ़ !!!
वो शिखर पर किसी के जीवन में होने की चाहत से खुद को सिफ़र पर लाने का सफ़र
आवाज़ों से लेकर सन्नाटे का सफ़र
वो अल्फाजों से लेकर ख़ामोशी तक का सफ़र ।
©Sakshi Sharma