White टुकड़े टुकड़े दिख रही हूं,पांव पकड़ के चीख रही हूं
छोड़ दे मुझको जाने भी दे,कतरा कतरा भींग रही हूं
रक्त के धारे बरस रहे हैं,सिर पे रॉड के ज़ख्मों से
थोड़ी सी तो रहम दिखा दे,अपने कातिल हमलों से
बाल पकड़ के खींच न ऐसे,बालों से हीं छिप रही हूं
टुकड़े टुकड़े दिख रही हूं,पांव पकड़ के चीख रही हूं
मैं भी हूं तेरी मां सी मूरत,नाज़ुक भी हूं पुष्प के जैसी
मुझमें कितने सपने जिन्दा,उड़ने वाली बाज के जैसी
ढीला करदे हाथ गले से, दम घुटने से मीट रही हूं
टुकड़े टुकड़े दिख रही हूं,पांव पकड़ के चीख रही हूं
हुस्न पे चाकू के हमलों को अब तो सहना मुश्किल है
दिख रहे हैं मांस के बदन से,दर्द को सहना मुश्किल है
जलता बदन है ऐसे जैसे,आंच पे किस्मत लिख रही हूं
टुकड़े टुकड़े दिख रही हूं,पांव पकड़ के चीख रही हूं
राजीव...
©samandar Speaks
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