White जिन्हें गिरना था वो सब गिर गये मेरी निगाह मे | हिंदी शायरी

"White जिन्हें गिरना था वो सब गिर गये मेरी निगाह में जिन्हें जाना था वो सब जा चुके कीचड़ की थाह में मिरे सारे बदन पे ज़ख़्म जो कुछ देखते हो तुम कई ख़ंजर बसाये थे कभी अपनी पनाह में इन्हीं मौका परस्तों को कभी घर तक बुलाया था लगा कर घात बैठे हैं कई गीदड़ जो राह में ख़्वाहिश यही इनकी मैं दर्द-ओ-ग़म ही अब झेलूँ कहीं आराम दिखता है इन्हें मेरी ही आह में ©nakul Kumar"

 White जिन्हें गिरना था वो सब गिर गये मेरी निगाह में 
जिन्हें जाना था वो सब जा चुके कीचड़ की थाह में 

मिरे सारे बदन पे ज़ख़्म जो कुछ देखते हो तुम
कई ख़ंजर बसाये थे कभी अपनी पनाह में

इन्हीं मौका परस्तों को कभी घर तक बुलाया था
लगा कर घात बैठे हैं कई गीदड़ जो राह में

ख़्वाहिश यही इनकी मैं दर्द-ओ-ग़म ही अब झेलूँ 
कहीं आराम दिखता है इन्हें मेरी ही आह में

©nakul Kumar

White जिन्हें गिरना था वो सब गिर गये मेरी निगाह में जिन्हें जाना था वो सब जा चुके कीचड़ की थाह में मिरे सारे बदन पे ज़ख़्म जो कुछ देखते हो तुम कई ख़ंजर बसाये थे कभी अपनी पनाह में इन्हीं मौका परस्तों को कभी घर तक बुलाया था लगा कर घात बैठे हैं कई गीदड़ जो राह में ख़्वाहिश यही इनकी मैं दर्द-ओ-ग़म ही अब झेलूँ कहीं आराम दिखता है इन्हें मेरी ही आह में ©nakul Kumar

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