है बादलों में धूप सी ये ज़िन्दगी,
है सर्द में कुछ गर्म सी ये खुशी,
जो खुश यहां दिख रहा है भीड़ में,
पी रहा है गम के घूट हर घड़ी,
चादरों की सिलवटों में है छुपा,
हर बूंद आंसू का जो है गिरा,
हां थाम कर जो हांथ तेरा मैं बढ़ा,
तू छोड़ कर वो हांथ आगे बढ़ गई,
सिकवा नहीं है दिल मेरे अब कोई,
तू था नहीं वो जिसको मैं हूं ढूंढ़ता,
है बादलों में धूप सी ये ज़िन्दगी,
है सर्द में कुछ गर्म सी ये खुशी।
- वैवस्वत सिंह।
#CloudyNight