किस शिखर पर बैठे हो तुम
कहाँ से तुझे पुकारू मैं
मायाजाल तेरा कुछ ऐसा
कैसे नाम उचारु मैं
मन की सुधि कभी ना लेता
बस तन को अपने सवारूँ मैं
हे ईश्वर पर बालक तेरा
राह तेरी ही निहारु मैं
आ जाओ तुम मुझे जीताने
तेरे रहते कैसे हारूँ मैं
अब झोल झाल सी लगती दुनिया
क्या सोचूँ क्या ही विचारूं मैं
किस शिखर पर बैठे हो तुम
कहाँ से तुझे पुकारूं मैं
©Mishra Abhishek
#MountainPeak