जन्म देना मां बाप का गिफ्ट,
संस्कार देना मैं बाप का रिक्स,
स्कूल मैं शिक्षा देना टीचर का धर्म,
कभी हो जाए गलती तो हो जाते गर्म,
स्कूल के बाद कॉलेज की तैयारी,
कॉलेज में सबने मौज है मारी,
कॉलेज से निकलते ही नौकरी की तलाश,
रोटी-पानी की नहीं अब पैसों की भूख और प्यास,
पैसा मिला घर भेजने की मजबूरी,
अपने घर से ख़ुद ही मिलो की दूरी,
घर पर बात कर ले इतनी भी नहीं है फुरसत,
पता नही खुशियों की क्या है कीमत,
बहुत दिनों बाद घर मिलने की वापसी,
एक, दो दिन की छुट्टी के दिन,
कुदरत बहुत जलती है काटती,
एक, नज़र भर कर देख ले,
मां, बाप भाई बहनों को इतना भी,समय नहीं हैं,
ये सच नहीं हैं की मेरे परिवार में से मुझे लगाव नहीं है,
देती हैं खुशियां बदले में कीमत चुकवा लेती हैं,
ऐ जिंदगी, तू इस पापी पेट की खातिर बच्चो,
, बूढ़ो से भी मजदूरी करवा लेती हैं
©MANISH KUMAR
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