तà¥à¤® हो तो लगता है ✍️आज की डायरी✍️
दुहाई देता है ✍️✍️✍️
शुरुआती इश्क शायद अंधा हो सकता है मगर ।
दो चार माह बीतने पर सब साफ़ दिखायी देता है ।।
स्वार्थ का प्रेम हो तो टिकता ही कितने दिन तक है ।
आपस में बढ़ती दूरियों को नाम बेवफ़ाई देता है ।।
एकतरफा प्यार हो तो लफ़्जों की जरूरत होती है ।
दो दिल मिले हों तो बिन कहे सब सुनायी देता है ।।
आज के दौर में मर मिटने की बात बेजा लगती है ।
ब्रेकप के बाद बस मूव करने की दुहायी देता है ।।
सोची समझी साजिश है दिल्लगी करने वालों की ।
टूट जाये दिल तो विचार न मिलने की सफाई देता है ।।
✍️नीरज✍️
©डॉ राघवेन्द्र