# वो मशगूल हैं शिद्दत से भुलाने में
नहीं है कोई उस जैसा, इस ज़माने में
नहीं आते हैं बाज, ये राज बताने में
दर्द की लंबी थी, फेहरिस्त मेरे पास
फिर क्यूँ मिला नासूर, मुझे ज़माने में
मुस्कराने की एक वजह चाही थी मैंने
नहीं कुछ और चाहा था इस फ़साने में
उसकी हर अदावत मुझे मंजूर रही सदा
सुना है कि मजा आता है, उसे जलाने में
उसकी यादें हैं कि जाती नहीं है निराला
और वो मशगूल हैं शिद्दत से हमें भुलाने में
#10 March 2023 #
©Sanjay Ni_ra_la
मशगूल हैं शिद्दत से हमें भुलाने में