कुछ ख्वाईशें प्रकृति पर छोड़ दी... देखना है प्रकृति
"कुछ ख्वाईशें प्रकृति पर छोड़ दी...
देखना है प्रकृति कब लौटाएगी।
कुछ अरमान दबा लिए दिल मे...
देखना है दिल कब तक संभाल पायेगा।
कुछ मोहब्बत से नाराज़ होकर मुँह मोड़ लिया...
देखना है वक़्त कैसा गुजरता है..."
कुछ ख्वाईशें प्रकृति पर छोड़ दी...
देखना है प्रकृति कब लौटाएगी।
कुछ अरमान दबा लिए दिल मे...
देखना है दिल कब तक संभाल पायेगा।
कुछ मोहब्बत से नाराज़ होकर मुँह मोड़ लिया...
देखना है वक़्त कैसा गुजरता है...